ताजदार-ए-हरम - Tajdar-e-Haram Lyrics Atif Aslam

प्यारे दर्शको, गैरफिल्मी गीतो की श्रेणी मैं पेश है 'ताजदार-ए-हरम' गीत के बोल हिंदी मैं. यह गीत साल २०१५ के 'कोक स्टूडियो सीज़न 8 एपिसोड 1' से है. 'ताजदार-ए-हरम' गीत के बोल लिखे है हकीम मिर्ज़ा मदनी ने और इस गीत को गाया है आतिफ़ असलम ने अपने जादुई आवाज मैं. इस गीत का संगीत संयोजन किया है सबरी ब्रदर्ज़ ने. 'ताजदार-ए-हरम' गाने का व्हिडिओ युट्युब पर बहुत सरहाया गया और इसके लाखों लोगो ने देखा है.

इस जानकारी के साथ प्रस्तुत है, आतिफ़ असलम के 'ताजदार-ए-हरम' गीत के बोल हिंदी मैं.


    फिल्म / एल्बम : कोक स्टूडियो सीज़न 8 एपिसोड 1 (2015)
    संगीत दिया है: सबरी ब्रदर्ज़
    गीत के बोल: हकीम मिर्ज़ा मदनी
    गायक: आतिफ़ असलम

    क़िस्मत में मेरी चैन से जीना लिख दे
    डूबे ना कभी मेरा सफ़ीना लिख दे
    जन्नत भी गँवारा है
    मगर मेरे लिए
    ऐ कातिब-ए-तक़दीर
    मदीना लिख दे

    ताजदार-ए-हरम (2)

    हो निगाह-ए-करम
    हम गरीबों के दिन भी संवर जाएंगे

    हामी-ए बेकसां क्या कहेगा जहां
    आपके दर से खाली अगर जाएँगे

    ताजदार-ए-हरम (2)

    कोई अपना नहीं गम के मारे हैं हम
    आपके दर पे फ़रियाद लाएँ हैं हम
    हो निगाह-ए-करम
    वरना चौखट पे हम
    आपका नाम ले ले के मर जाएँगे

    ताजदार-ए-हरम (2)

    क्या तुमसे कहूँ ऐ अ रब के कुँवर
    तुम जानते हो मन की बतियाँ
    दार-ए-फुरक़त तो आये उम्मी-लक़ब
    काटे ना कटती हैं अब रतियाँ
    तोरी प्रीत में सुध-बुध सब बिसरी
    कब तक रहेगी ये बेखबरी
    गाहे बेफ़िगन दुज़दीदाह नज़र

    कभी सुन भी तो लो हमारी बतियाँ
    आपके दर से कोई ना खाली गया
    अपने दामन को भर के सवाली गया

    हो हबीब-ए-हज़ीन(2)

    पर भी आक़ा नज़र
    वरना औराक़ ए-हस्ती बिखर जाएँगे

    ताजदार-ए-हरम (2)

    मैकशों आओ आओ.. मदीने चलें

    आओ मदीने चलें (2)

    इसी महीने चलें
    आओ मदीने चलें

    तजल्लियों की अजब है फ़िज़ा मदीने में
    निगाहें शौक़ की हैं इंतेहां मदीने में
    ग़म-ए-हयात ना खौफ-ए-क़ज़ा मदीने में
    नमाज़-ए-इश्क़ करेंगे अदा मदीने में
    बराह-ए-रास है राह-ए-खुदा मदीने में

    आओ मदीने चलें (2)

    इसी महीने चलें
    आओ मदीने चलें

    मैकशों आओ आओ मदीने चलें
    दस्त-ए-साक़ी ये कौसर से पीने चलें
    याद रखो अगर
    उठ गई इक नज़र
    जितने खाली हैं सब जाम भर जाएँगे
    वो नज़र

    ताजदार-ए-हरम (2)

    खौफ़-ए-तूफ़ान है
    बिजलियों का है डर
    सख़्त मुश्किल है आक़ा किधर जाएँ हम
    आप ही गर न लेंगे हमारी खबर
    हम मुसीबत के मारे किधर जाएँगे

    ताजदार-ए-हरम (2)

    या मुस्तफ़ा
    या मुजतबा
    इरहम लना
    इरहम लना
    दस्त-ए हमह बेचारा-रा
    दमाँ तो-ई दमाँ तो-ई
    मन आसियां मन आजिज़म
    मन बे-कसम हाल-ए-मेरा

    पुरसं तो-ई (2)

    ऐ मुश्क-बेद ज़ुम्बर फ़िशां
    पैक-ए-नसीम ए सुबह दम
    ऐ चारहगर ईसा नफ़स
    ऐ मूनस ए बीमार-ए-ग़म
    ऐ क़ासिद ए फुरकंदपह
    तुझको उसी गुल की कसम
    इन नलती या री अस-सबा
    यौमन इला अर्द इल-हरम
    बल्लिघ सलामी रौदतन
    फी अन-नबी अल मोहतरम

    ताजदार-ए-हरम (2)


    Tajdar-e-Haram Lyrics Atif Aslam


    kismat mai meri chain se jina likh de
    dube na kabhi mera safina likh de
    jannat bhu gawara hai
    magar tere liye
    ye katib-e-takdir
    madina likh de

    tajdar-e-haram (2)

    ho nigah-e-karam
    hum garibo ke din bhi sawar jayenge

    hami-e-bekasa kya kahega jaha
    apake dar se khali agar jayenge

    tajdar-e-haram (2)

    koi apna nahi gam ke mare hai hum
    apake dar pe fariyad laye hai hum
    ho nigah-e-karam
    varana chaukhat pe hum
    apka nam le le ke mar jayenge

    tajdar-e-haram (2)

    kya tumse kahu ye a rab ke kuwar
    tum jante ho man ki batiya
    dar-e-furkat to aye ummi-lakab
    kate na katati hai ab ratiya
    tori prit mai sudh-budh sab bisari
    kab tak rahegi ye bekhabri
    gahe befigan duzdidah najar

    kabhi sun bhi to lo hamari batiya
    apke dar se koi na khali gaya
    apane daman ko bhar ke sawali gaya

    ho habib-e-hajin (2)

    par bhi aka nazar
    varna aurak e hasti bikhar jayege

    tajdar-e-haram (2)

    maikso aao aao.. madine chale

    aao madine chale (2)

    isi mahine chale
    aao madine chale

    tajlliyo ki ajab hai fiza madine mai
    nigahe shauk ki hai inteha madine mai
    gam-e-hayat na kauf-e-kaja madine mai
    namaj-e-ishq karenge ada madine mai
    barah-e-ras hai rah-e-khuda madine mai

    aao madine chale (2)

    isi mahine chale
    aao madine chale

    maikasho aao aao madine chale
    dast-e-saki ye kaousar se pine chale
    yaad rakho agar
    uth gaye ek najar
    jitne khali hai sab jam bhar jayenge
    woh nazar

    tajdar-e-haram (2)

    khauf-e-tufan hai
    bijliyo ka hai dar
    sakht mushkil hai aaka kidar jaye hum
    aap hi gar n lenge hamari khabar
    hum musibat ke mare kidhar jayege

    tajdar-e-haram (2)

    ya mustafa
    ya muztaba
    erham lana
    erham lana
    dast-e-hamh bechara-ra
    dama to e dama to e
    man asiya man ajijm
    man be kasam hal e mera

    purs to-e (2)

    ye mushk-bed jumbar fisha
    paik e nasim a subhah dam
    ye chargah isa nfas
    ye muns e bimar-e-gam
    ye kasid e furkdpah
    tuzko usi gul ki kasam
    in nalati ya ri as-saba
    yauman ela ard el-haram
    balligh salami radtan
    fi an-nabi al mohtaram

    tajdar-e-haram (2)

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